मुंबई, 30 अक्टूबर 2025 – भारत को वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 अक्टूबर को मुंबई के नेस्को प्रदर्शनी केंद्र में आयोजित इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 के दौरान वैश्विक समुद्री नेताओं को संबोधित किया। ‘ग्लोबल मैरीटाइम लीडर्स कॉन्क्लेव’ में दिए गए अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि जब वैश्विक समुद्र उफान पर हों, तब दुनिया एक स्थिर मायनाक (प्रकाशस्तंभ) की तलाश करती है, और भारत उस भूमिका को निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने समुद्री क्षेत्र में भारत की प्रगति, हालिया कानूनी सुधारों और 26 अरब डॉलर (लगभग 2.2 लाख करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा पर जोर दिया।
यह आयोजन 27 से 31 अक्टूबर तक चल रहा है, जिसका थीम है ‘यूनाइटिंग ओशन्स, वन मैरीटाइम विजन’। 85 से अधिक देशों के 1 लाख से ज्यादा प्रतिनिधियों, 500 से अधिक प्रदर्शकों और 350 अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं की भागीदारी के साथ यह समिट भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था को वैश्विक पटल पर मजबूत बनाने का मंच बना। पीएम मोदी ने कॉन्क्लेव के बाद ग्लोबल मैरीटाइम सीईओ फोरम की भी अध्यक्षता की, जिसमें शिपिंग, पोर्ट्स, लॉजिस्टिक्स और निवेश के क्षेत्रों में वैश्विक नेताओं के बीच चर्चा हुई।
भाषण के प्रमुख बिंदु: शांति, विकास और समुद्री क्रांति
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत 2016 में मुंबई में ही शुरू हुए इस आयोजन की प्रगति से की। उन्होंने कहा, “2016 में मुंबई में ही इसकी शुरुआत हुई थी। आज यह एक वैश्विक समिट बन चुका है। 85 देशों की भागीदारी अपनेआप में एक बड़ा संदेश देती है। शिपिंग दिग्गज, स्टार्टअप्स, नीति निर्माता और निवेशक सभी यहां मौजूद हैं।” उन्होंने भारत के बंदरगाहों को विकासशील दुनिया के सबसे कुशल बताते हुए कहा कि कई मामलों में ये विकसित देशों के बंदरगाहों से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
समुद्री क्षेत्र में भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए पीएम ने कहा, “वैश्विक तनावों और व्यापारिक व्यवधानों के बीच भारत शांति और समावेशी विकास का प्रतीक है। हमारा समुद्री क्षेत्र मजबूत स्थिति में है और तेजी से आगे बढ़ रहा है।” उन्होंने औपनिवेशिक काल के पुरानी शिपिंग कानूनों को हटाकर आधुनिक, 21वीं सदी के अनुरूप विधेयकों की शुरुआत का जिक्र किया, जो राज्य समुद्री बोर्डों को सशक्त बनाते हैं, सुरक्षा और स्थिरता पर जोर देते हैं तथा पोर्ट प्रबंधन में डिजिटल तकनीक का एकीकरण बढ़ावा देते हैं।
पीएम मोदी ने भारत को वैश्विक समुद्री हब बनाने के ‘मैरिटाइम अमृत काal विजन 2047’ का उल्लेख किया, जो चार स्तंभों पर आधारित है: पोर्ट-नेतृत्व विकास, शिपिंग और जहाज निर्माण, सहज लॉजिस्टिक्स तथा समुद्री कौशल निर्माण। उन्होंने कहा, “जब वैश्विक समुद्र उफान मार रहे हों, तब दुनिया एक स्थिर मायनाक की तलाश करती है। भारत उस भूमिका को निभा सकता है।”
26 अरब डॉलर के निवेश की ऐतिहासिक घोषणा
भाषण का सबसे रोमांचक हिस्सा निवेश घोषणाओं का था। पीएम मोदी ने 26 अरब डॉलर के समुद्री परियोजनाओं की शुरुआत की, जिसमें भारत शिपिंग लाइन का लॉन्च, 59 जहाजों के लिए तेल और गैस पीएसयू के 47,800 करोड़ रुपये के ऑर्डर, 100 इको-फ्रेंडली टग्स के लिए 12,000 करोड़ रुपये का ग्रीन टग प्रोग्राम तथा ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के लिए 11 ड्रेजर्स के 3,775 करोड़ रुपये के अधिग्रहण शामिल हैं। कुल मिलाकर 437 जहाजों के ऑर्डर से समुद्री क्षमता में भारी वृद्धि होगी।
पीएम ने थिरुवनंतपुरम के विजिनजम इंटरनेशनल सीपोर्ट का उदाहरण दिया, जो इस साल पूरी तरह चालू हो गया और दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज एमएससी-इरिना को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “यह भारत की समुद्री क्षमता पर दुनिया का भरोसा दर्शाता है।” कई एमओयू पर हस्ताक्षर भी हुए, जो कोच्चि शिपयार्ड जैसे संस्थानों को मजबूत करेंगे।
वैश्विक सहयोग और भविष्य की दृष्टि
पीएम मोदी ने क्वाड पोर्ट्स ऑफ द फ्यूचर कॉन्फ्रेंस, सागरमंथन, द ग्रेट ओशन्स डायलॉग तथा शीईओ कॉन्फ्रेंस जैसे आयोजनों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह समिट समुद्री क्षेत्र में सहयोग बनाने का बेहतरीन मंच है। गृह मंत्री अमित शाह ने उद्घाटन में कहा था कि मुंबई अब ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ से ‘गेटवे ऑफ द वर्ल्ड’ बन रही है।
यह भाषण न केवल भारत की समुद्री महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित करता है, बल्कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की स्थिरता का संदेश भी देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये घोषणाएं भारत को 2047 तक शीर्ष समुद्री शक्तियों में शामिल करने में मील का पत्थर साबित होंगी। समिट 31 अक्टूबर तक चलेगी, जहां और निवेश एवं नीतिगत निर्णय अपेक्षित हैं।
Author: saryusandhyanews
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