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बिहार चुनावी रणनीति में तीखा तंज: पीएम मोदी का डीएमके पर हमला – तमिलनाडु में बिहारियों को ‘परेशान’ करने का आरोप

बिहार चुनावी रणनीति में तीखा तंज: पीएम मोदी का डीएमके पर हमला – तमिलनाडु में बिहारियों को ‘परेशान’ करने का आरोप

पटना, 31 अक्टूबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सारण जिले की एक रैली में विपक्षी महागठबंधन पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र कढ़गम (डीएमके) पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि तमिलनाडु में सत्ताधारी डीएमके बिहार के मेहनती लोगों को “परेशान” कर रही है। यह बयान न केवल बिहार की सियासत को गर्मा गया, बल्कि दक्षिण भारत में भी विवाद की आग भड़का दी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे “तमिलों के प्रति नफरत फैलाने” का प्रयास बताते हुए पीएम मोदी से “पद की गरिमा” न भूलने की अपील की।

पीएम मोदी का बयान: विपक्ष की ‘दोगली’ राजनीति पर चोट

सारण में भाजपा प्रत्याशी और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के समर्थन में आयोजित रैली में पीएम मोदी ने विपक्षी गठबंधन इंडिया पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “तेलंगाना और कर्नाटक में कांग्रेस नेता बिहारियों का अपमान कर रहे हैं, तो तमिलनाडु में डीएमके के लोग बिहार के मेहनती लोगों को परेशान कर रहे हैं।” उनका इशारा डीएमके नेताओं के कथित बयानों की ओर था, जहां बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को “वडक्कन” (उत्तरी) कहकर तिरस्कार किया जाता रहा है।

पीएम ने आगे कहा कि ये वही नेता अब बिहार में कांग्रेस के नेताओं को प्रचार के लिए बुला रहे हैं, जो अपने राज्यों में बिहारियों का अपमान करते हैं। “यह विपक्ष की साजिश है, जो बिहार के लोगों को धोखा देना चाहता है।” उन्होंने पंजाब में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री का उदाहरण दिया, जहां बिहारियों को राज्य में प्रवेश न करने की चेतावनी दी गई थी। यह बयान बिहार चुनाव के पहले चरण (6 नवंबर) से ठीक पहले आया, जब एनडीए और महागठबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोप चरम पर हैं।

डीएमके का पलटवार: ‘मोदी तमिल-बिहारी के बीच दुश्मनी फैला रहे’

पीएम के बयान पर तमिलनाडु से तीखी प्रतिक्रिया आई। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर कहा, “ओडिशा-बिहार कहीं भी जाकर भाजपा तमिलों के प्रति नफरत फैला रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बार-बार याद दिलाना पड़ रहा है कि वे पूरे देश के पीएम हैं, न कि चुनावी लाभ के लिए क्षेत्रीय वैमनस्य फैलाने वाले।” स्टालिन ने इसे “सस्ती राजनीति” करार देते हुए कहा कि इससे तमिलों और बिहारियों के बीच दुश्मनी बढ़ेगी।

डीएमके सांसद कनिमोझी ने भी ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए कहा, “महामारी के दौरान केंद्र ने प्रवासियों को सड़कों पर छोड़ दिया था। तमिलनाडु ने उन्हें भोजन, आवास और चिकित्सा प्रदान की। बिहारी मजदूर जानते हैं कि किसने उन्हें धोखा दिया और किसने मदद की।” उन्होंने व्यंग्य किया कि तमिलनाडु में केवल एक बिहारी “राजभवन में रहकर राजनीति कर रहा है” – इशारा राज्यपाल आरएन रवि की ओर।

डीएमके संगठन सचिव आरएस भारती ने तो पीएम मोदी की सरकार को “ब्रिटिश राज से भी बदतर” बताया। उन्होंने कहा, “डीएमके ने कभी बिहारियों का अपमान नहीं किया। बल्कि भाजपा ही तमिलों को अपमानित करती है। केंद्र तमिलनाडु को हर रुपए पर सिर्फ 29 पैसे देता है, जबकि बिहार को 7 रुपये मिलते हैं।” भारती ने भाजपा नेताओं के पुराने बयानों का हवाला दिया, जैसे केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का “तमिलों में शिष्टाचार की कमी” वाला बयान और एक भाजपा सांसद का दक्षिण भारतीयों को “काले” कहना।

भाजपा का बचाव: ‘मोदी ने सच्चाई उजागर की’

भाजपा ने डीएमके के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने केवल “सच्चाई” बोली है। भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वनथी श्रीनिवासन ने कोयंबटूर में कहा, “डीएमके क्षेत्रीय और भाषाई भावनाओं से राजनीति करती रही है। तमिलनाडु को श्रमिकों की कमी है, फिर भी बिहार-बंगाल के मजदूरों पर निर्भर है। लेकिन डीएमके नेता उन्हें अपमानित करते हैं।” उन्होंने डीएमके नेताओं के पुराने बयानों का जिक्र किया, जैसे “बिहारी पानिपुरी विक्रेता” कहना या अम्मा उन्नावगम में उत्तर भारतीयों को खिलाने पर टिप्पणी।

भाजपा नेता के अन्नामलाई ने भी स्टालिन पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि डीएमके ने ही प्रवासी मजदूरों पर हमलों का माहौल बनाया है। “पीएम ने तमिलनाडु के लोगों को दोष नहीं दिया, बल्कि डीएमके की विभाजनकारी नीति को उजागर किया।” भाजपा का दावा है कि यह बयान बिहार में प्रवासियों के मुद्दे को उभारने के लिए है, जहां लाखों बिहारी तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे राज्यों में काम करते हैं।

पृष्ठभूमि: प्रवासी मजदूरों का विवादास्पद मुद्दा

यह विवाद बिहार चुनाव के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जहां प्रवासन और रोजगार प्रमुख मुद्दे हैं। तमिलनाडु में बिहार से लाखों मजदूर निर्माण, टेक्सटाइल और अन्य क्षेत्रों में काम करते हैं। कोविड के दौरान तमिलनाडु सरकार ने इनकी मदद की थी, लेकिन डीएमके नेताओं के कुछ बयान विवादास्पद रहे। दूसरी ओर, भाजपा का कहना है कि विपक्षी दलों ने हमेशा उत्तर भारतीयों को निशाना बनाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम का बयान बिहार के वोटरों को एकजुट करने की रणनीति है, लेकिन यह उत्तर-दक्षिण विभाजन को बढ़ावा दे सकता है।

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Author: saryusandhyanews

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