नई दिल्ली, 1 नवंबर 2025: भारत ने गुरुवार को पाकिस्तान सीमा के साथ ‘त्रिशूल 2025’ नामक अपनी सबसे बड़ी त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास की शुरुआत की, जो 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक चलेगी। गुजरात के रण ऑफ कच्छ और राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में केंद्रित यह अभ्यास भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त क्षमताओं का परीक्षण कर रहा है। लेकिन इसकी शुरुआत के साथ ही पाकिस्तान में घबराहट की लहर दौड़ गई है। इस्लामाबाद ने पांच दिनों में दूसरी NOTAM (नोटिस टू एयरमेन) जारी कर अपने केंद्रीय और दक्षिणी एयरस्पेस को सीमित कर दिया, जो 1 नवंबर से 30 नवंबर तक लागू रहेगी। विशेषज्ञ इसे ‘पैनिक और सावधानी’ का संकेत बता रहे हैं, क्योंकि अभ्यास सर क्रीक जैसे विवादित क्षेत्र के निकट हो रहा है।
यह अभ्यास ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के छह महीने बाद आया है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के अंदर नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि सर क्रीक में कोई भी अवैध कब्जे की कोशिश ‘इतिहास और भूगोल बदलने’ वाली प्रतिक्रिया का सामना करेगी। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान सर क्रीक क्षेत्र में बंकर्स, रडार साइट्स और फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (FOB) का निर्माण तेज कर रहा है। ऐसे में ‘त्रिशूल’ को पाकिस्तान एक स्पष्ट संदेश मान रहा है – भारत की सैन्य तत्परता और संयुक्त कमांड की ताकत।
अभ्यास का पैमाना: 25,000 सैनिक, मिसाइलें और राफेल जेट्स
‘त्रिशूल 2025’ भारत की आधुनिक युद्ध क्षमता का प्रदर्शन है। इसमें 25,000 से अधिक सैनिक तैनात हैं, जिनमें स्पेशल फोर्सेज कमांडोज, टैंक रेजिमेंट, आर्मर्ड हेलीकॉप्टर्स और मिसाइल यूनिट्स शामिल हैं। नौसेना ने फ्रिगेट्स और डिस्ट्रॉयर्स तैनात किए हैं, जबकि वायुसेना राफेल, सुखोई Su-30 और अन्य फाइटर जेट्स से हमलों का सिमुलेशन कर रही है। अभ्यास में साइबर डोमेन, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और निगरानी प्लेटफॉर्म्स का भी परीक्षण हो रहा है।
गुजरात के कच्छ क्षेत्र में केंद्रित यह ड्रिल सर क्रीक के समुद्री जल को भी कवर करती है, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है। भारत थैल्वेग प्रिंसिपल (नेविगेबल चैनल के मध्य रेखा पर सीमा) का हवाला देता है, जबकि पाकिस्तान 1914 की बॉम्बे गवर्नमेंट रेजोल्यूशन के आधार पर पूरे क्रीक पर दावा करता है। 2016 के उरी हमले के बाद बंद हुई बातचीत के बीच, यह क्षेत्र अब फ्लैशपॉइंट बन चुका है। सैटेलाइट इमेजरी एनालिस्ट डेमियन साइमन ने ट्वीट किया, “अभ्यास का क्षेत्र और पैमाना असामान्य है। यह पाकिस्तान को सीधी चेतावनी है।”
पाकिस्तान की घबराहट: एयरस्पेस प्रतिबंध और सैन्य अलर्ट
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया तेज थी। 28-29 अक्टूबर को पहली NOTAM जारी करने के बाद, 31 अक्टूबर को दूसरी NOTAM ने उसके अधिकांश दक्षिणी और तटीय एयरस्पेस को बंद कर दिया। विशेषज्ञ इसे पाकिस्तानी वायुसेना के दक्षिणी एयरबेस और नौसेना के बेड़े पर संभावित प्रिसिजन स्ट्राइक्स के डर का संकेत मान रहे हैं। पाकिस्तानी सेना को नवंबर अंत तक हाई अलर्ट पर रखा गया है, तटीय निगरानी बढ़ाई गई है और एयर तथा नौसैनिक संपत्तियों को पुनर्व्यवस्थित किया जा रहा है।
ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) एनालिस्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के केंद्रीय और दक्षिणी एयर रूट्स पर प्रतिबंध एक हथियार परीक्षण या उच्च तनाव वाली तैयारी का संकेत हो सकता है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक यूजर @sarfraz_ashar ने लिखा, “पाकिस्तान करीब से देख रहा है क्योंकि भारत सीमा पर त्रिशूल अभ्यास चला रहा है। फाइटर जेट्स स्क्रैम्बल, सैनिक तैनात – तनाव बढ़ रहा है।” एक अन्य पोस्ट में @BharatGeoview ने कहा, “सर क्रीक अब नई टेंशन पॉइंट बन गया है। LoC और सियाचिन के बाद अब यह क्षेत्र रणनीतिक दबाव का केंद्र है।”
पाकिस्तानी मीडिया और विश्लेषकों ने इसे ‘अनावश्यक उत्तेजना’ करार दिया है। एशिया टाइम्स में एक लेख में कहा गया, “पाकिस्तान ने संयम और संवाद पर जोर दिया है, लेकिन भारत का यह अभ्यास उन प्रयासों को कमजोर कर रहा है। यह न्यूक्लियर पड़ोसियों के बीच गलतफहमी का खतरा बढ़ा रहा है।” पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन खुफिया स्रोतों के मुताबिक, रावलपिंडी में चिंता बढ़ गई है।
सर क्रीक विवाद: क्यों है यह क्षेत्र इतना संवेदनशील?
सर क्रीक गुजरात के रण ऑफ कच्छ और पाकिस्तान के सिंध के बीच एक संकीर्ण ज्वार-भाटा चैनल है, जो अरब सागर में खुलता है। यह न केवल सीमा निर्धारण का मुद्दा है, बल्कि समुद्री संसाधनों, तेल अन्वेषण और मछली पकड़ने के अधिकारों से जुड़ा है। 1965 के युद्ध में पाकिस्तान ने यहां हमला किया था, और 1999 के कारगिल संघर्ष के बाद यह फिर से गर्म हो गया। हाल के वर्षों में, पाकिस्तान के ड्रोन और इन्फैंट्री ऑपरेशंस के लिए FOB बनाने की रिपोर्ट्स ने भारत को सतर्क कर दिया है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ‘त्रिशूल’ आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) को बढ़ावा दे रहा है, जहां स्वदेशी हथियार प्रणालियों का परीक्षण हो रहा है। लेकिन पाकिस्तान के लिए यह एक ‘मापा संदेश’ है – सैन्य तत्परता बढ़ाना जरूरी है, लेकिन तत्काल उत्तेजना नहीं।
विशेषज्ञों की राय: संतुलन या खतरा?
भारतीय रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि अभ्यास भारत की संयुक्त क्षमताओं को मजबूत करेगा और पाकिस्तान को किसी भी क्रॉस-बॉर्डर उकसावे पर निर्णायक जवाब देने की क्षमता दिखाएगा। पूर्व वायुसेना अधिकारी एयर मार्शल (रिटायर्ड) एसबीपी सिंह ने कहा, “यह अभ्यास ऑपरेशन सिंदूर के बाद की स्थिति में हमारी तैयारी का परीक्षण है। पाकिस्तान की घबराहट स्वाभाविक है।”
दूसरी ओर, पाकिस्तानी पक्ष इसे ‘क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा’ बता रहा है। एशिया टाइम्स के लेखक मझर सिद्दीक खान ने लिखा, “भारत का यह कदम दक्षिण एशिया में जबरन संकेतों को सामान्य बना रहा है, जो दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच गलतफहमी बढ़ा सकता है।” अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है।
शांति की उम्मीद या युद्ध की आहट?
‘त्रिशूल 2025’ भारत की सैन्य आधुनिकीकरण की दिशा में एक कदम है, लेकिन पाकिस्तान के लिए यह चिंता का विषय बन गया है। सर क्रीक जैसे पुराने विवाद फिर से उभर रहे हैं, और एयरस्पेस प्रतिबंध तनाव को और गहराा रहे हैं। क्या यह अभ्यास दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाएगा, या नई टकराव की शुरुआत साबित होगा? समय ही बताएगा। फिलहाल, सीमा पर सतर्कता बरती जा रही है, और दुनिया की नजरें दक्षिण एशिया पर टिकी हैं।
Author: saryusandhyanews
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