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बांग्लादेश में शेख हसीना को फांसी की सजा: 2024 छात्र आंदोलन दमन मामले में अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल का ऐतिहासिक फैसला

ढाका, 17 नवंबर 2025: बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को गैर-हाजिर में मौत की सजा सुनाई है। यह फैसला 2024 के छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन के दौरान हुई हिंसक कार्रवाई के लिए दिया गया, जिसमें 1,400 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। ट्रिब्यूनल ने हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया, जिसमें प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी और दमन शामिल है।

फैसले की मुख्य जानकारी

ट्रिब्यूनल ने सोमवार को भारी सुरक्षा के बीच यह फैसला सुनाया। अदालत में मौजूद वकीलों ने खुशी से नारे लगाए, जबकि देशभर में हसीना समर्थकों और विरोधियों के बीच तनाव बढ़ गया। हसीना फिलहाल भारत में शरणार्थी के रूप में रह रही हैं, इसलिए सुनवाई उनके बिना हुई।

विवरण जानकारी
आरोपी शेख हसीना (पूर्व पीएम)
सजा मौत की सजा (गैर-हाजिर में)
मामला 2024 छात्र आंदोलन दमन
मृतकों की संख्या 1,400 से अधिक
सह-आरोपी हसीना के सहयोगी (कुछ को उम्रकैद)
सुनवाई की तारीख 17 नवंबर 2025

ट्रिब्यूनल के एक न्यायाधीश ने कहा, “यह फैसला न्याय की जीत है, जो उन हजारों निर्दोषों के लिए है जिनकी जानें ली गईं।” संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी इस दमन को “मानवता के खिलाफ अपराध” करार दिया गया है।

घटना की पृष्ठभूमि

2024 में जुलाई-अगस्त में छात्रों ने नौकरी कोटे के खिलाफ आंदोलन शुरू किया, जो जल्द ही हसीना सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध में बदल गया। पुलिस और सुरक्षा बलों की गोलीबारी में सैकड़ों की मौत हुई, जिसके बाद हसीना को 5 अगस्त 2024 को पद से हटा दिया गया और वे भारत भाग गईं। इसके बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार ने कई मामलों में उनकी जांच शुरू की। यह पहला प्रमुख फैसला है, जिसमें उन्हें मौत की सजा दी गई।

विपक्षी दलों और अंतरिम सरकार ने फैसले का स्वागत किया, लेकिन हसीना के अवामी लीग ने इसे “राजनीतिक बदला” बताया। भारत ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे दोनों देशों के संबंध प्रभावित हो सकते हैं।

भविष्य की संभावनाएं

हसीना के वकील अपील दायर करने की योजना बना रहे हैं। ट्रिब्यूनल ने अन्य सहयोगियों को भी उम्रकैद या लंबी सजाएं सुनाई हैं। बांग्लादेश में सुरक्षा बल तैनात हैं, और प्रदर्शनकारियों ने फैसले के बाद सड़कों पर जश्न मनाया। अंतरिम सरकार ने कहा कि यह “न्याय का युग” की शुरुआत है।

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Author: saryusandhyanews

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