अहमदाबाद, 17 नवंबर 2025: गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF), जो अमूल ब्रांड के मालिक है, ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। यह याचिका ब्रेस्ट मिल्क सब्स्टीट्यूट्स, फीडिंग बॉटल्स एंड इन्फैंट फूड्स (रेगुलेशन ऑफ प्रोडक्शन, सप्लाई एंड डिस्ट्रीब्यूशन) एक्ट, 1992 (IMS एक्ट) के तहत लगे उल्लंघन के आरोपों को चुनौती देती है। अमूल ने मई 2025 में लॉन्च किए गए अपने लिक्विड रेडी-टू-फीड इन्फैंट फॉर्मूला को लेकर ब्रेस्टफीडिंग को बढ़ावा देने वाली संस्था BPNI (ब्रेस्टफीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया) द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। कंपनी का दावा है कि उनका उत्पाद IMS एक्ट का पूरी तरह पालन करता है और कोई प्रचार उल्लंघन नहीं है।
याचिका की मुख्य जानकारी
सुप्रीम कोर्ट में दायर इस याचिका में अमूल ने मांग की है कि BPNI के आरोपों को खारिज किया जाए और IMS एक्ट की व्याख्या को स्पष्ट किया जाए। याचिका में कहा गया है कि उत्पाद का लॉन्च और मार्केटिंग ब्रेस्टफीडिंग को प्रोत्साहित करने वाली दिशानिर्देशों का अनुपालन करती है। सुनवाई की तारीख 20 नवंबर तय की गई है।
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| याचिकाकर्ता | गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (अमूल) |
| मामला | IMS एक्ट उल्लंघन के आरोप |
| लॉन्च उत्पाद | लिक्विड रेडी-टू-फीड इन्फैंट फॉर्मूला (मई 2025) |
| विरोधी संस्था | BPNI |
| मुख्य दावा | कोई प्रचार उल्लंघन नहीं, IMS एक्ट का पूर्ण अनुपालन |
| सुनवाई तारीख | 20 नवंबर 2025 |
अमूल के एमडी आर.एस. सोढ़ी ने कहा, “हम ब्रेस्टफीडिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह याचिका IMS एक्ट की सही व्याख्या सुनिश्चित करने के लिए है, ताकि नवाचार और स्वास्थ्य दोनों सुरक्षित रहें।”
पृष्ठभूमि और विवाद
मई 2025 में अमूल ने अपना नया लिक्विड इन्फैंट फॉर्मूला लॉन्च किया, जिसे BPNI ने IMS एक्ट का उल्लंघन बताते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और FSSAI को शिकायत की। BPNI का आरोप था कि उत्पाद का प्रचार ब्रेस्ट मिल्क को सब्स्टीट्यूट के रूप में पेश करता है, जो दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित है। अमूल ने इसका खंडन करते हुए कहा कि उत्पाद केवल डॉक्टरों की सलाह पर उपलब्ध है और कोई अनुचित प्रचार नहीं किया गया।
यह विवाद भारत में शिशु पोषण नीति पर बहस को तेज कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि IMS एक्ट की सख्ती नवाचार को बाधित कर सकती है, लेकिन ब्रेस्टफीडिंग दर (वर्तमान में 54%) बढ़ाने के लिए आवश्यक है। विपक्षी दलों ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है, जबकि उद्योग संगठन अमूल का समर्थन कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला IMS एक्ट की व्याख्या को प्रभावित कर सकता है, जो अन्य डेयरी कंपनियों के लिए मिसाल बनेगा। अमूल ने संकेत दिया है कि यदि आवश्यक हो, तो वे अंतरराष्ट्रीय मानकों का हवाला देंगे। जनता से अपील की गई है कि शिशु पोषण पर विशेषज्ञ सलाह लें।
Author: saryusandhyanews
SENIOR JOURNALIST ,NEWS PUBLISHED IS FOR TEST AND QUALITY PURPOSE TILL OFFICIAL LAUNCH



