नई दिल्ली, 19 नवंबर 2025 (एजेंसी): बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 17 नवंबर को डाक्का की एक विशेष अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के महज दो दिनों बाद, अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के करीबी सलाहकार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) खलीलुर रहमान भारत पहुंच गए हैं। यह यात्रा भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम मानी जा रही है।
खलीलुर रहमान दिल्ली में उतर चुके हैं और गुरुवार को होने वाले कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (सीएससी) की सातवीं बैठक में हिस्सा लेंगे। यह बैठक भारत के एनएसए अजीत डोभाल की मेजबानी में हो रही है, जिसमें मालदीव, मॉरीशस, श्रीलंका और बांग्लादेश के समकक्ष शामिल होंगे। सेशेल्स पर्यवेक्षक के रूप में और मलेशिया अतिथि के तौर पर उपस्थित होगा। बैठक का मुख्य फोकस समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-उग्रवाद का मुकाबला, सीमा-पार संगठित अपराध, साइबर सुरक्षा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत जैसे क्षेत्रों पर सहयोग की समीक्षा करना है। साथ ही, 2026 के लिए रोडमैप और कार्ययोजना पर चर्चा होगी।
शेख हसीना की सजा का संदर्भ इस यात्रा को और अधिक संवेदनशील बनाता है। हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है। वह अगस्त 2024 में सत्ता से हटने के बाद भारत में ही निर्वासन में रह रही हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से हसीना और उनके एक करीबी सहयोगी को प्रत्यर्पित करने की मांग की है, लेकिन भारत ने अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
हालांकि, खलीलुर रहमान की यात्रा के एजेंडे में प्रत्यर्पण का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। भारतीय पक्ष ने उन्हें आमंत्रित किया है, जो द्विपक्षीय संवाद को बनाए रखने की इच्छा दर्शाता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश के हालिया कदम, जैसे भारत की सीमा के निकट लालमोनिरहाट एयरबेस को पुनर्जीवित करने की योजना और पाकिस्तान को व्यापार, निवेश तथा रक्षा में प्राथमिकता देना, भारत के लिए चिंताजनक हैं। ये कदम सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) की सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।
मुहम्मद यूनुस ने सजा को “ऐतिहासिक फैसला” बताते हुए कहा था, “कानून के सामने कोई बड़ा नहीं है।” वहीं, हसीना के समर्थकों ने इसे “राजनीतिक बदला” करार दिया है। भारत ने सजा पर “रचनात्मक संलग्नता” की बात कही है, लेकिन प्रत्यर्पण पर चुप्पी साधे हुए है।
यह यात्रा हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेशी प्रतिष्ठान की भारत के साथ पहली बड़ी कूटनीतिक पहल है। बांग्लादेश 2024 में सीएससी का पांचवां सदस्य बना था। विश्लेषकों का कहना है कि यह यात्रा संबंधों को पटरी पर लाने का अवसर हो सकती है, लेकिन प्रत्यर्पण मुद्दा दोनों देशों के बीच तनाव का प्रमुख कारण बना रहेगा।
Author: saryusandhyanews
SENIOR JOURNALIST ,NEWS PUBLISHED IS FOR TEST AND QUALITY PURPOSE TILL OFFICIAL LAUNCH



