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उत्तर प्रदेश में धान खरीद सीजन 2025-26: किसानों के लिए राहत और अवसर-रणजीत यादव, सलाहकार एसएसएन नेटवर्क, एमएसएमई, उद्योग

लखनऊ, 15 नवंबर 2025 – उत्तर प्रदेश, देश का सबसे बड़ा धान उत्पादक राज्य होने के नाते, हर साल खरीफ विपणन सत्र में धान की सरकारी खरीद एक महत्वपूर्ण घटना बन जाती है। योगी आदित्यनाथ सरकार की किसान-हितैषी नीतियों के तहत इस वर्ष 2025-26 के धान खरीद सीजन में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उनकी उपज का बेहतर मूल्य सुनिश्चित किया जा रहा है। यह सीजन न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है, बल्कि खाद्य सुरक्षा और बाजार स्थिरता को भी मजबूत करता है। आइए, इस सीजन की विस्तृत जानकारी पर नजर डालें।

धान खरीद सीजन का समय-सारिणी

उत्तर प्रदेश में धान की खरीद क्षेत्रीय जलवायु और फसल कटाई के चक्र को ध्यान में रखते हुए दो चरणों में की जाती है:

  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश: 1 अक्टूबर 2025 से शुरू हो चुकी है। यह चरण मुख्य रूप से मेरठ, सहारनपुर, आगरा, बरेली जैसे संभागों को कवर करता है।
  • पूर्वी उत्तर प्रदेश: 1 नवंबर 2025 से प्रारंभ, जो 28 फरवरी 2026 तक चलेगा। इसमें प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, चित्रकूट, कानपुर आदि संभाग शामिल हैं।

कुल मिलाकर, खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 (1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026) के तहत धान खरीद 1 सितंबर 2025 से पंजीकरण के साथ शुरू हुई, लेकिन वास्तविक खरीद अक्टूबर-नवंबर से जोर पकड़ चुकी है। राज्य सरकार ने इस वर्ष खरीद प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्स का उपयोग बढ़ाया है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और दरें

केंद्र सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर धान की खरीद की जा रही है, जो किसानों को मध्यस्थों के शोषण से बचाती है। इस सीजन की मुख्य दरें निम्नलिखित हैं:

प्रकार एमएसपी (प्रति क्विंटल) वृद्धि (पिछले वर्ष से)
सामान्य धान ₹2,369 ₹69
ग्रेड-ए धान ₹2,389 ₹69

यह वृद्धि किसानों की मांगों को ध्यान में रखते हुए की गई है। खरीद के दौरान धान की गुणवत्ता की जांच के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके। भुगतान की प्रक्रिया भी तेज है – खरीद के 48 घंटे के अंदर किसान के बैंक खाते में राशि हस्तांतरित हो जाती है।

लक्ष्य और प्रगति: अब तक की उपलब्धियां

राज्य सरकार ने इस सीजन में 60 लाख मीट्रिक टन (एमटी) धान खरीदने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। अब तक (15 नवंबर 2025 तक) की प्रगति काफी उत्साहजनक रही है:

  • कुल खरीद: लगभग 3 लाख एमटी धान की खरीद हो चुकी है।
  • किसान कवरेज: 51,000 से अधिक किसानों ने अपनी उपज बेची है, जबकि 3.58 लाख से ज्यादा किसानों ने पंजीकरण कराया है।
  • क्षेत्रीय प्रगति: बरेली मंडल में 1.06 लाख एमटी की खरीद हो चुकी है, जहां 24,536 किसानों को ₹245 करोड़ का भुगतान किया गया। पूर्वी क्षेत्र में नवंबर से शुरू हुई खरीद तेजी से बढ़ रही है।

प्रारंभिक चरण में कुछ विलंब हुआ था, लेकिन अब प्रक्रिया पूरे जोर-शोर से चल रही है। खाद्य निगम ऑफ इंडिया (एफसीआई) और राज्य एजेंसियों के सहयोग से यह लक्ष्य हासिल करने की उम्मीद है।

पंजीकरण प्रक्रिया: सरल और डिजिटल

किसानों के लिए पंजीकरण 1 सितंबर 2025 से शुरू हो गया था, जो बिना किसी जटिलता के ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है:

  1. ऑनलाइन पंजीकरण: उत्तर प्रदेश खाद्य एवं लॉजिस्टिक्स विभाग की वेबसाइट (fcs.up.gov.in) या ‘पीएम किसान’ पोर्टल के माध्यम से। आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण और भूमि दस्तावेज अपलोड करने होते हैं।
  2. ऑफलाइन: नजदीकी क्रय केंद्र, ग्राम पंचायत या सहकारी समिति कार्यालय में।
  3. मोबाइल ऐप: ‘UP e-Kharid’ ऐप के जरिए एसएमएस अलर्ट और ट्रैकिंग सुविधा उपलब्ध।

अब तक 1.37 लाख से अधिक किसानों ने पंजीकरण कराया है, जो सरकार की नीतियों पर विश्वास का प्रमाण है। पंजीकरण के बिना खरीद नहीं होती, इसलिए किसानों को शीघ्र पंजीकरण कराने की सलाह दी जाती है।

क्रय केंद्रों का नेटवर्क

प्रदेशभर में 3,952 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच सुनिश्चित करते हैं। ये केंद्र एफसीआई, मार्कफेड, नाफेड और राज्य वेयरहाउसिंग निगम द्वारा संचालित हैं। प्रत्येक केंद्र पर:

  • वजन मापने के लिए डिजिटल वेरिएबल स्केल।
  • गुणवत्ता जांच के लिए लैब सुविधाएं।
  • सुरक्षा व्यवस्था और परिवहन सहायता।

पूर्वी यूपी में 1,500 से अधिक केंद्र सक्रिय हैं, जबकि पश्चिमी क्षेत्र में 2,000। किसान नजदीकी केंद्र पर जाकर अपनी उपज बेच सकते हैं।

सरकार की पहलें और किसान कल्याण

योगी सरकार ने इस सीजन को ‘किसान हितकारी’ बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं:

  • डिजिटल ट्रांसपेरेंसी: रीयल-टाइम डैशबोर्ड पर खरीद की जानकारी उपलब्ध।
  • महिला किसानों के लिए विशेष प्रावधान: प्राथमिकता और अतिरिक्त सहायता।
  • परिवहन भत्ता: दूरदराज के किसानों को मुआवजा।
  • जागरूकता अभियान: एसएमएस, रेडियो और सोशल मीडिया के माध्यम से।

ये पहलें किसानों को सशक्त बनाने के साथ-साथ कालाबाजारी रोकने में सहायक हैं।

चुनौतियां और समाधान

प्रारंभ में फसल कटाई में विलंब और मौसम की मार के कारण खरीद धीमी रही, लेकिन अब गति पकड़ ली है। पराली जलाने की समस्या भी उभरी, लेकिन सरकार ने वैकल्पिक प्रबंधन पर जोर दिया है। किसानों को सलाह है कि वे गुणवत्ता वाले धान (नमी 17% से कम) ही लाएं ताकि अस्वीकृति न हो।

 समृद्धि की ओर एक कदम

उत्तर प्रदेश का धान खरीद सीजन 2025-26 न केवल आर्थिक स्थिरता ला रहा है, बल्कि किसानों में आत्मविश्वास भी जगा रहा है। 60 लाख टन के लक्ष्य के साथ, यह सीजन राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। किसानों से अपील है कि पंजीकरण कराएं और एमएसपी का लाभ उठाएं। अधिक जानकारी के लिए fcs.up.gov.in पर जाएं

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Author: saryusandhyanews

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