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बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए की शानदार जीत, अब सरकार गठन की कवायद तेज

पटना, 15 नवंबर 2025 (एसएसएन एक्सप्रेस): बिहार की राजनीतिक हलचल थमने का नाम नहीं ले रही। नवीनतम विधानसभा चुनाव परिणामों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को ऐतिहासिक सफलता दिलाई है। गठबंधन ने राज्य की 243 सीटों में से भारी बहुमत हासिल कर लिया, जिसे राजनीतिक गलियारों में ‘क्लीन स्वीप’ करार दिया जा रहा है। भाजपा, जद(यू), लोजपा (रा) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) जैसे सहयोगियों के दम पर एनडीए ने विपक्षी महागठबंधन को धूल चटा दी। अब सत्ता की कमान संभालने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिसमें मुख्यमंत्री पद के लिए नामांकन और राज्यपाल के निमंत्रण से लेकर शपथ ग्रहण तक की कवायद चल रही है।

चुनावी नतीजों का रोमांचक सफर: एनडीए की अप्रत्याशित जीत

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को ‘महा युद्ध’ कहा जा रहा था, जहां जातिगत समीकरण, विकास के वादे और केंद्र-राज्य संबंधों ने निर्णायक भूमिका निभाई। मतगणना के अंतिम चरण में एनडीए ने 170 से अधिक सीटें हासिल कर लीं, जो बहुमत के आंकड़े (122) से कहीं आगे है। भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा हुआ, जो 115 सीटों पर सवार हो गई, जबकि नीतीश कुमार की जद(यू) ने 45 सीटें जीतीं। चिराग पासवान की लोजपा (रा) ने 12 और जीतान राम मानज्ही की हम ने 5 सीटें हासिल कीं।

विपक्षी खेमे में हाहाकार मच गया। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को मात्र 35 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस और वामपंथी दलों का खाता भी मुश्किल से खुला। पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हार स्वीकार करते हुए कहा, “यह जनादेश है, लेकिन हम लड़ते रहेंगे।” वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बिहारवासियों को बधाई दी: “विकास की राह पर बिहार फिर से मजबूत कदम बढ़ाएगा।”

यह जीत एनडीए के लिए ‘क्लीन स्वीप’ इसलिए मानी जा रही है क्योंकि गठबंधन ने न केवल ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत की, बल्कि शहरी केंद्रों जैसे पटना, भागलपुर और मुजफ्फरपुर में भी भारी मतों से जीत हासिल की। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मतदान प्रतिशत 65% रहा, जो पिछले चुनाव से 5% अधिक था। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र की योजनाओं जैसे पीएम किसान और आयुष्मान भारत ने ग्रामीण मतदाताओं को प्रभावित किया।

सरकार गठन की प्रक्रिया: कौन बनेगा अगला मुख्यमंत्री?

चुनावी धूलफांक ज्यों ही बैठी, एनडीए के घटक दलों ने सरकार गठन की रस्साकशी शुरू कर दी। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज दोपहर एनडीए के प्रतिनिधिमंडल को राजभवन बुलाया, जहां उन्होंने बहुमत का प्रमाण-पत्र जमा किया। प्रक्रिया के अनुसार:

  1. नेतृत्व चयन: एनडीए की कोर कमिटी की बैठक कल सुबह पटना में हुई, जिसमें भाजपा और जद(यू) के शीर्ष नेता शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ही फिर से मुख्यमंत्री बनने के दावेदार हैं, लेकिन भाजपा ने कुछ कैबिनेट पदों की मांग की है। चिराग पासवान ने कहा, “हमारी प्राथमिकता बिहार का विकास है, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं।”
  2. बहुमत साबित: विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को प्रस्ताव भेजा गया है। एनडीए को 170 विधायकों का समर्थन मिल चुका है, जो विधानसभा में आसानी से बहुमत साबित कर लेगा। विशेष सत्र 20 नवंबर को बुलाए जाने की संभावना है।
  3. शपथ ग्रहण: एक बार विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद, नए मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। अनुमान है कि शपथ ग्रहण समारोह 22 नवंबर को होगा, जिसमें केंद्रीय मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा शामिल हो सकते हैं। कैबिनेट में 30-35 सदस्य होंगे, जिसमें महिलाओं और पिछड़े वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
  4. नीतिगत एजेंडा: सरकार के पहले 100 दिनों में बाढ़ नियंत्रण, रोजगार सृजन और शिक्षा सुधार पर फोकस होगा। नीतीश कुमार ने कहा, “यह जीत बिहार के हर कोने तक पहुंचेगी।”

विपक्ष की प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियां

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने हार पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग पर ‘सुनियोजित साजिश’ का आरोप लगाया। कांग्रेस ने भी ‘ईवीएम घोटाले’ की बात की, लेकिन एनडीए ने इसे ‘हार का रोना’ करार दिया। राजनीतिक विश्लेषक प्रो. राम पुनियानी का कहना है, “यह जीत एनडीए की एकजुटता को दर्शाती है, लेकिन अब वादों को पूरा करना चुनौती होगी। बेरोजगारी और प्रवासन जैसी समस्याएं अभी बरकरार हैं।”

बिहार की सियासत अब नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। एनडीए की यह क्लीन स्वीप न केवल राज्य स्तर पर, बल्कि 2029 के लोकसभा चुनावों के लिए भी संकेत दे रही है। क्या नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार ‘विकास मॉडल’ का नया अध्याय लिखेगा? आने वाले दिन ही बताएंगे।

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Author: saryusandhyanews

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