श्रीहरिकोटा/बेंगलुरु, 9 नवंबर 2025 (विशेष संवाददाता): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) ने आज गगनयान मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पहला एकीकृत एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) पूरा होने से मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन में क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित रिकवरी प्रक्रिया को मजबूती मिली है। यह परीक्षण पैराशूट-आधारित डिकेलरेशन सिस्टम का अंत-से-अंत प्रदर्शन था, जो अंतरिक्ष यात्रियों को समुद्र में सुरक्षित उतारने के लिए आवश्यक है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि यह सफलता भारत को मानव अंतरिक्ष यात्रा की दिशा में एक बड़ा कदम है।
आईएसआरओ के इस परीक्षण में भारतीय वायुसेना, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय नौसेना और भारतीय तटर रक्षक बल का सहयोग रहा। परीक्षण 24 अगस्त 2025 को शुरू हुआ था, लेकिन आज के अपडेट में इसकी पूर्ण सफलता की पुष्टि हुई, जो मिशन की तैयारी को तेज करेगी। गगनयान कार्यक्रम के तहत भारत 2026 में अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान की योजना बना रहा है, और यह टेस्ट उसी की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ।
परीक्षण का विवरण: क्या हुआ और कैसे?
IADT-01 टेस्ट में क्रू मॉड्यूल को हवाई जहाज से गिराया गया, जहां पैराशूट सिस्टम की तैनाती, डिकेलरेशन और रिकवरी प्रक्रिया का परीक्षण किया गया। यह समुद्री लैंडिंग का सिमुलेशन था, जिसमें पैराशूट पूरी तरह से खुले और क्रू मॉड्यूल की ओरिएंटेशन सही पाई गई। आईएसआरओ ने कहा, “यह टेस्ट पैराशूट-आधारित डिकेलरेशन सिस्टम का अंत-से-अंत प्रदर्शन था, जो गगनयान मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है।”
परीक्षण से पहले, मानवरहित लॉन्च वाहन (HLVM3) का विकास और ग्राउंड टेस्टिंग पूरा हो चुका है। क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल के प्रोपल्शन सिस्टम विकसित और परीक्षित किए गए हैं। पर्यावरण नियंत्रण एवं जीवन समर्थन प्रणाली (ECLSS) का इंजीनियरिंग मॉडल तैयार है। क्रू एस्केप सिस्टम (CES) के पांच प्रकार के मोटरों का स्टेटिक टेस्ट सफल रहा। इसके अलावा, ऑर्बिटल मॉड्यूल तैयारी सुविधा, गगनयान नियंत्रण केंद्र और क्रू ट्रेनिंग सुविधाएं स्थापित हो चुकी हैं।
पहले अनक्रूड मिशन (G1) के लिए C32-G स्टेज, CES मोटर और क्रू मॉड्यूल संरचनाएं तैयार हैं। टेस्ट व्हीकल (TV-D1) फ्लाइट से CES की वैलिडेशन हो चुकी है, जबकि TV-D2 की तैयारी चल रही है। ग्राउंड नेटवर्क और रिकवरी एसेट्स भी फाइनलाइज हो चुके हैं।
सफलता के निहितार्थ: भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को बल
यह सफलता गगनयान को मजबूत बनाते हुए भारत की ‘विकसित भारत’ की दृष्टि को साकार करने में सहायक होगी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में कहा, “गगनयान कार्यक्रम के तहत मानव अंतरिक्ष गतिविधियों की बुनियादी क्षमताओं को सिद्ध करने के बाद, अगला तार्किक कदम कम पृथ्वी कक्षा में मानव आवास या स्पेस स्टेशन का विकास है। इस दिशा में भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की दीर्घकालिक दृष्टि में 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) और 2040 तक भारतीय चंद्र लैंडिंग शामिल है।”
उन्होंने बताया कि BAS के पांच मॉड्यूल स्थापित करने की योजना है, जिसके लिए पहले मॉड्यूल का विकास स्वीकृत हो चुका है। यह परीक्षण न केवल गगनयान की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि भविष्य के मिशनों जैसे चंद्र अभियान के लिए आधार तैयार करेगा। आईएसआरओ प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा, “यह सफलता हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का परिणाम है, जो भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाएगा।”
भविष्य की योजनाएं
अगले चरणों में और पैराशूट टेस्ट, पैड एबॉर्ट प्रक्रियाएं और समुद्री रिकवरी अभ्यास शामिल हैं। 2026 में अनक्रूड मिशन G1 लॉन्च होगा, उसके बाद क्रूड मिशन। भारतीय नौसेना और ऑस्ट्रेलियाई स्पेस एजेंसी के साथ स्प्लैशडाउन ड्रिल्स चल रही हैं। यह टेस्ट भारत को स्वदेशी प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम है।
आईएसआरओ की यह उपलब्धि न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए गर्व का विषय है, बल्कि युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगी। गगनयान के माध्यम से भारत विश्व पटल पर मानव अंतरिक्ष यात्रा के क्लब में शामिल होने को तैयार है।
Author: saryusandhyanews
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