दिल्ली उच्च न्यायालय ने मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम कथित रूप से काटे जाने संबंधी टिप्पणी को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आतिशी, सुशील कुमार गुप्ता तथा मनोज कुमार सहित आम आदमी पार्टी के अन्य सदस्यों के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही रद्द करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली में मतदाता सूची से नाम कथित तौर पर हटाने के बारे में उनकी टिप्पणी ‘प्रथम दृष्टया मानहानिकारक’ है। यह टिप्पणी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बदनाम करने के इरादे से की गई थी, और नामों को हटाने के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया गया था।
न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने आप नेताओं के इस बचाव को भी खारिज कर दिया कि उनकी टिप्पणी ‘नेकनीयती’ है और ‘लोगों की भलाई’ के लिए की गई है.
उच्च न्यायालय ने कहा कि मतदाता सूची के संबंध में टिप्पणी ‘राजनीतिक लाभ हासिल करने’ के लिए की गई और मानहानि के अपराध के लिए केजरीवाल और आप के अन्य नेताओं को तलब करने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा।
उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी, 2020 को निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और अंतरिम आदेश को वापस ले लिया था और पक्षों को तीन अक्टूबर को निचली अदालत के समक्ष पेश होने को कहा था।
Author: Ajay Kumar Pandey
SENIOR JOURNALIST ,VAST EXPERIENCE OF INVESTIGATIVE JOURNALISM