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निर्वाचन आयोग ने प्रशांत किशोर को दो राज्यों में मतदाता सूची में नाम दर्ज होने पर भेजा नोटिस: कानूनी उल्लंघन का खतरा

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर 2025 – बिहार विधानसभा चुनावों के बीच राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक और प्रमुख रणनीतिकार प्रशांत किशोर को निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने शो-कॉज नोटिस जारी किया है। मामला उनके नाम के बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों राज्यों की मतदाता सूचियों में दर्ज होने का है। आयोग ने किशोर को तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है, वरना प्रतिनिधि जनता अधिनियम, 1950 की धारा 31 के तहत एक वर्ष तक की कैद या जुर्माने की सजा हो सकती है।

यह नोटिस रोहतास जिले के करगहर विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा जारी किया गया है। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, किशोर का नाम बिहार के रोहतास जिले के करगहर क्षेत्र में भाग 367 (मिडिल स्कूल, कोनार, उत्तर खंड) में मतदान केंद्र संख्या 621 पर दर्ज है, जहां उनका ईपीआईसी (वोटर आईडी) नंबर 1013123718 है। वहीं, पश्चिम बंगाल में उनका नाम भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र (कोलकाता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र) की मतदाता सूची में 121, कालीघाट रोड पर दर्ज है, जो तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के मुख्यालय का पता है। यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का विधानसभा क्षेत्र है। मतदान केंद्र के रूप में सेंट हेलेन स्कूल, बी रानीशंकर लेन का उल्लेख है।

कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन: एक व्यक्ति, एक मतदाता

प्रतिनिधि जनता अधिनियम, 1950 की धारा 17 स्पष्ट रूप से कहती है कि कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में नामांकित नहीं हो सकता। उल्लंघन पर धारा 31 के तहत सजा का प्रावधान है। नोटिस में कहा गया है, “28 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित समाचार के अनुसार, आपका नाम बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों की मतदाता सूचियों में दर्ज है। इसलिए, एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में आपके नाम के दर्ज होने के संबंध में तीन दिनों के अंदर अपना पक्ष प्रस्तुत करें।”

यह मामला बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) अभियान के बीच सामने आया है, जिसमें मतदाता सूचियों को शुद्ध करने का दावा किया गया था। किशोर ने 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान टीएमसी के लिए रणनीतिकार के रूप में काम किया था, जिस दौरान वे कोलकाता में रहते थे। उन्होंने 2019 से बिहार के करगहर में मतदाता के रूप में पंजीकरण कराया था।

किशोर का जवाब: आयोग की लापरवाही का आरोप

नोटिस मिलने पर किशोर ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “मैं 2019 से करगहर विधानसभा क्षेत्र का मतदाता हूं। दो वर्षों तक जब मैं कोलकाता में था, तब वहां वोटर आईडी कार्ड बनवाया था। 2021 से मेरा वोटर आईडी करगहर का है। अगर ईसीआई कह रही है कि मेरा नाम अन्य जगहों पर भी दर्ज है, तो SIR अभियान के दौरान इसे क्यों नहीं हटाया गया? यह आयोग की लापरवाही है।”

जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुमार सौरभ सिंह ने कहा, “यह आयोग की जिम्मेदारी थी। SIR अभियान की धूमधाम से घोषणा की गई, कई नाम हटाए गए, लेकिन प्रसिद्ध व्यक्ति जैसे प्रशांत किशोर के मामले में चूक हो गई। इससे अन्य जगहों पर सतर्कता की कल्पना की जा सकती है।” किशोर ने अप्रत्यक्ष रूप से आयोग पर बीजेपी के इशारे पर कार्रवाई का आरोप लगाया, कहा, “ईसीआई मुझे नोटिस से डरा नहीं सकती।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: बीजेपी का तंज, विपक्ष का बचाव

यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर किशोर पर निशाना साधा, “जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों में मतदाता हैं। अगर उनकी पार्टी बिहार में मजबूत होती, तो यह बड़ा विवाद होता, लेकिन जन सुराज मायने नहीं रखती।” बीजेपी प्रवक्ता नीरज कुमार ने इसे “कमजोर चूक नहीं, बल्कि गंभीर अपराध” बताया और टीएमसी के साथ साजिश का आरोप लगाया। उन्होंने आयोग से तत्काल जांच की मांग की।

वहीं, आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने SIR अभियान को “ठगने वाली कवायद” बताया। उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह SIR की पोल खोलता है। एनडीए के नेता भी कई जगह दर्ज हैं। अब प्रशांत किशोर, जिन्हें हम बीजेपी गठबंधन के लिए गुप्त रूप से काम करने का संदेह करते हैं, इस सूची में शामिल हो गए।” महागठबंधन ने इसे आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने का मौका बनाया है।

बिहार में दो चरणों (6 और 11 नवंबर) में मतदान होने हैं, जबकि 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। किशोर ने स्पष्ट किया है कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन उनकी पार्टी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।

व्यापक प्रभाव: मतदाता सूचियों की शुद्धता पर सवाल

यह घटना बिहार चुनावों से पहले मतदाता सूचियों की शुद्धता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामले राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप को बढ़ावा देंगे। किशोर, जो पहले बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी जैसे दलों के लिए रणनीतिकार रह चुके हैं, अब बिहार में एनडीए और इंडिया गठबंधन के विकल्प के रूप में खुद को पेश कर रहे हैं। उनकी पदयात्राओं और जनसंपर्क अभियानों ने युवाओं को आकर्षित किया है।

कुल मिलाकर, यह नोटिस न केवल किशोर के लिए बल्कि पूरे चुनावी परिदृश्य के लिए चुनौती है। आयोग की प्रतिक्रिया और किशोर का जवाब आने वाले दिनों में राजनीतिक तापमान को और गर्म कर सकता है। बिहार के मतदाता अब न केवल विकास और रोजगार पर, बल्कि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी नजर रखेंगे।

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Author: saryusandhyanews

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