लखनऊ, 27 अक्टूबर 2025 – उत्तर प्रदेश सरकार ने पत्रकार समुदाय की कल्याणकारी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ‘पत्रकार कल्याण कोष’ की स्थापना की मंजूरी प्रदान कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार का यह निर्णय पत्रकारों को आर्थिक सहायता, स्वास्थ्य बीमा और आपातकालीन सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया है। सरोजिनी नगर विधायक राजेश्वर सिंह ने इसकी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कोष की स्थापना का उद्देश्य: पत्रकारों की चुनौतियों का समाधान
उत्तर प्रदेश में हजारों पत्रकार कार्यरत हैं, जो समाचार संग्रहण और प्रसारण के दौरान विभिन्न जोखिमों का सामना करते हैं। कभी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, तो कभी आर्थिक संकट। ‘पत्रकार कल्याण कोष’ इसी कमी को पूरा करने के लिए बनाया गया है। कोष के तहत पत्रकारों को बीमारी, दुर्घटना या अन्य आपात स्थितियों में वित्तीय सहायता मिलेगी।
सरकार के अनुसार, यह कोष मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष और राज्य बजट से वित्त पोषित होगा। प्रारंभिक आवंटन में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा। पात्रता के मानदंडों में मान्यता प्राप्त समाचार पत्रों या मीडिया हाउसों में कार्यरत पत्रकार, फ्रीलांसर और डिजिटल पत्रकार शामिल हैं। आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, जिसमें आधार कार्ड और पत्रकार पहचान पत्र अनिवार्य होंगे।
विधायक राजेश्वर सिंह ने कहा, “यह कोष पत्रकारों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा। हमने मुख्यमंत्री से इसकी मांग की थी, और आज यह वास्तविकता बन गई। कार्यान्वयन जल्द शुरू होगा, जिससे पत्रकार बंधु निश्चिंत होकर अपना कार्य कर सकेंगे।”
पृष्ठभूमि: पत्रकारों की कल्याण योजनाओं की आवश्यकता
उत्तर प्रदेश में पत्रकारिता एक चुनौतीपूर्ण पेशा है। कोविड-19 महामारी के दौरान कई पत्रकारों ने आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया, जबकि क्षेत्रीय स्तर पर हिंसा और धमकियों के मामले भी सामने आए। राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकार कल्याण बोर्ड मौजूद है, लेकिन राज्य-विशेष कोष की कमी महसूस की जा रही थी।
पिछले वर्षों में, सरकार ने पत्रकारों के लिए पेंशन योजना और स्वास्थ्य शिविर शुरू किए थे, लेकिन एक समर्पित कोष की अनुपस्थिति में ये प्रयास अपर्याप्त साबित हुए। अब यह कोष न केवल वित्तीय सहायता देगा, बल्कि पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम मीडिया की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देगा।
कोष के लाभ: स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा तक
‘पत्रकार कल्याण कोष’ के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- आर्थिक सहायता: दुर्घटना या बीमारी में 5 लाख रुपये तक की एकमुश्त सहायता।
- स्वास्थ्य बीमा: वार्षिक 2 लाख रुपये का कवर, जिसमें परिवार भी शामिल।
- शिक्षा सहायता: पत्रकारों के बच्चों के लिए स्कॉलरशिप योजना।
- आपातकालीन फंड: धमकी या उत्पीड़न के मामलों में कानूनी और सुरक्षा सहायता।
- पेंशन योजना: सेवानिवृत्त पत्रकारों के लिए मासिक पेंशन।
कोष का प्रबंधन एक स्वतंत्र समिति करेगी, जिसमें पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल होंगे। लखनऊ में इसका मुख्यालय स्थापित किया जाएगा, जबकि जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त होंगे।
चुनौतियां और भविष्य की दिशा
हालांकि यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन कार्यान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना चुनौती होगी। पत्रकार संगठनों ने मांग की है कि आवेदनों की जांच में भेदभाव न हो और कोष का उपयोग केवल पात्र व्यक्तियों तक सीमित रहे। सरकार ने आश्वासन दिया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाएगा।
भविष्य में, कोष को राष्ट्रीय पत्रकार कल्याण बोर्ड से जोड़ने की योजना है, जिससे उत्तर प्रदेश के पत्रकारों को केंद्रीय योजनाओं का लाभ भी मिल सके। यह प्रयास न केवल पत्रकारों को सशक्त बनाएगा, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूत करेगा।
अजय कुमार पांडेय, मुख्य संपादक की कलम से-पत्रकारिता की रक्षा का संकल्प
उत्तर प्रदेश सरकार का ‘पत्रकार कल्याण कोष’ पत्रकार समुदाय के लिए एक वरदान साबित होगा। यह योजना न केवल आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी, बल्कि पत्रकारों के सम्मान और सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल राज्य के मीडिया परिदृश्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। पत्रकार बंधुओं से अपील है कि वे इस योजना का लाभ उठाएं और अपनी पत्रकारिता को और निष्पक्ष बनाएं। आशा है कि जल्द ही यह कोष सक्रिय होकर सैकड़ों परिवारों का सहारा बनेगा।
Author: saryusandhyanews
SENIOR JOURNALIST ,NEWS PUBLISHED IS FOR TEST AND QUALITY PURPOSE TILL OFFICIAL LAUNCH




