लखनऊ, 24 अक्टूबर 2025 (स्पेशल रिपोर्ट): उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर हलाल प्रमाणीकरण को आतंकवाद से जोड़ते हुए जोरदार बयान दिया है। आरएसएस के शताब्दी समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमान हलाल भोजन करते हैं, हिंदू सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और जैन समुदाय मांसाहार से पूरी तरह परहेज करता है। फिर आतंकवाद का हलाल से क्या लेना-देना? योगी ने हलाल उद्योग के 25,000 करोड़ रुपये के कारोबार को ‘लव जिहाद’, धार्मिक रूपांतरण और आतंकवाद के लिए फंडिंग का स्रोत बताया। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है। विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाने का प्रयास बताया, जबकि समर्थकों ने इसे ‘सनातन रक्षा’ का कदम कहा।
आरएसएस शताब्दी समारोह में बयान: ‘राजनीतिक इस्लाम ने सनातन को सबसे बड़ा धक्का दिया’
22 अक्टूबर को लखनऊ में आयोजित आरएसएस के शताब्दी कार्यक्रम में योगी ने हलाल प्रमाणीकरण पर पूर्ण प्रतिबंध की घोषणा की। उन्होंने कहा, “मुसलमान हलाल खाते हैं, हिंदू सात्विक भोजन करते हैं, जैन मांस से परहेज करते हैं। इसमें आतंकवाद कहां है? लेकिन हलाल का 25,000 करोड़ का कारोबार आतंकवाद, लव जिहाद और रूपांतरण को फंड करता है।” योगी ने आगे जोर देकर कहा, “राजनीतिक इस्लाम ने सनातन धर्म को औपनिवेशिक काल से भी बड़ा धक्का दिया है।”
उन्होंने हलाल को ‘समांतर अर्थव्यवस्था’ बताते हुए कहा कि यह आधिकारिक निगरानी से बाहर है और इससे होने वाली कमाई आतंकी गतिविधियों में लगाई जाती है। योगी ने साबुन, कपड़े, माचिस जैसी दैनिक वस्तुओं पर भी हलाल लेबल से परहेज की अपील की। “हलाल प्रमाणीकरण एक हथियार है, जो समाज के लिए खतरा है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे,” उन्होंने चेतावनी दी। यह बयान चुनावी मौसम में आया है, जब उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की चर्चा जोरों पर है।
हलाल पर पूर्ण बैन: निर्यात को छोड़कर सभी उत्पाद प्रतिबंधित
योगी सरकार ने तत्काल प्रभाव से उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणीकरण पर बैन लगा दिया। निर्यात वाले उत्पादों को छोड़कर साबुन, स्नैक्स, मांस, कपड़े और अन्य वस्तुओं पर हलाल लेबल प्रतिबंधित। सरकार ने विशेष जांच टीम गठित की है, जो उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई करेगी। अधिकारियों के अनुसार, यह कदम ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के लिए जरूरी है। पिछले साल भी इसी तरह के बैन की मांग उठी थी, लेकिन अब इसे लागू कर दिया गया।
विपक्ष का तीखा पलटवार: ‘मुसलमानों को आतंकवादी साबित करने की साजिश’
महागठबंधन और समाजवादी पार्टी ने योगी के बयान की कड़ी निंदा की। एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “हलाल से आतंकवाद? यह मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश है। योगी जी पहले बेरोजगारी और महंगाई पर बोलें।” कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा, “यह बयान संविधान के खिलाफ है। अल्पसंख्यकों को डराने से विकास नहीं होता।” मुस्लिम कॉलमिस्ट अमाना बेगम अंसारी ने लिखा, “यह बयान मुसलमानों को संदिग्ध साबित करने का प्रयास है। हलाल एक धार्मिक प्रथा है, इसे आतंक से जोड़ना हास्यास्पद और विभाजनकारी है।”
विपक्ष ने इसे ‘वोट बैंक पॉलिटिक्स’ बताया और कहा कि इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी विरोध जताया।
समर्थकों का स्वागत: ‘सनातन की रक्षा का साहसिक कदम’
भाजपा और आरएसएस समर्थकों ने बयान का जोरदार समर्थन किया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा, “योगी जी ने सनातन को बचाने का साहस दिखाया। हलाल अर्थव्यवस्था आतंक को फंड करती है, बैन सही है।” सोशल मीडिया पर #BoycottHalal ट्रेंड कर रहा है। हिंदू संगठनों ने योगी को ‘सनातन रक्षक’ कहा। विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान 2027 यूपी चुनाव से पहले हिंदू वोटों को एकजुट करेगा।
विशेषज्ञों की राय: विभाजनकारी राजनीति या सुरक्षा उपाय?
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अनिल चतुर्वेदी ने कहा, “यह बयान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देगा, लेकिन भाजपा के लिए वोट फायदेमंद।” अर्थशास्त्री डॉ. राकेश सिंह ने बताया कि हलाल बाजार से 25,000 करोड़ का नुकसान होगा, लेकिन छोटे व्यापारियों पर असर पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के निर्यात पर भी सवाल उठे हैं।
योगी का यह बयान उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। क्या यह सनातन रक्षा का कदम बनेगा या विभाजन की आग भड़काएगा? आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
Author: saryusandhyanews
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