उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में राज्य में टेक्सटाइल और अपैरल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए “संत कबीर टेक्सटाइल एवं अपैरल पार्क” योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत अब तक जो प्रस्ताव आए हैं, उनसे राज्य में ₹15,431 करोड़ का निवेश संभव बताया जा रहा है, जो करीब 1,01,768 नौकरियाँ सृजित कर सकेंगे।
प्रस्तावना और उद्देश्य
-
योजना का नाम रखा गया है संत कबीर टेक्सटाइल एवं अपैरल पार्क, ताकि संत कबीर की साधना, श्रम और स्वावलंबन की भावना इस उद्योग योजना में झलके।
-
इसका मकसद है उत्तर प्रदेश को वैश्विक टेक्सटाइल मार्केट में एक प्रमुख केंद्र बनाना। विश्व बाजार में टेक्सटाइल और परिधान उद्योग के दायरे को देखते हुए 2030 तक इस बाज़ार की अनुमानित कीमत USD 2.3 ट्रिलियन (लाखों करोड़ रुपये) होने की उम्मीद है।
निवेश प्रस्ताव और योजना का पैमाना
-
इस योजना के तहत 659 प्रस्ताव निवेश के लिए Investment Sarathi पोर्टल पर प्राप्त हुए हैं, जिनके लिए कुल 1,642 एकड़ जमीन की मांग है।
-
निवेश राशि: ₹15,431 करोड़
-
रोजगार सृजन: अनुमानित 1,01,768 नौकरियाँ होंगी।
प्रमुख विशेषताएँ / इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधा
-
हर पार्क की न्यूनतम ज़मीन 50 एकड़ की होगी।
-
पार्कों में common effluent treatment plant जैसा पर्यावरण-अनुकूल आधारभूत ढाँचा तैयार किया जाएगा, साथ ही ज़रूरी सुविधाएँ जैसे बटन-ज़िपर, पैकेजिंग, गोदाम आदि शामिल होंगे ताकि आपूर्ति-श्रृंखला पूरी तरह से सुचारू हो।
-
पार्कों का निर्माण सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल या राज्य की नोडल एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा। सरकार सड़क, बिजली, जलापूर्ति जैसे अहम बुनियादी ढाँचे की प्राथमिकताएँ सुनिश्चित करेगी।
परंपरागत बुनकरों और बिजली लागत
-
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से powerloom बुनकरों से सीधे संवाद करने का निर्देश दिया है ताकि उनके उत्पादन-खर्चों को कम किया जा सके और उनकी आय बढ़े।
-
उन्हें सब्सिडी युक्त बिजली प्रदान की जा रही है; साथ ही सरकार ने सोलर ऊर्जा के विकल्पों की जांच करने का सुझाव दिया है ताकि बिजली की लागत और पर्यावरणीय दबाव दोनों कम हों।
प्रदेश की स्थिति और आर्थिक महत्व
-
टेक्सटाइल-उद्योग उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है: राज्य के कुल GDP में यह उद्योग लगभग 1.5% हिस्सेदारी रखता है, और सीधे 22 लाख लोग इस से जुड़े हैं।
-
वर्ष 2023-24 में यूपी से टेक्सटाइल व अपैरल सामान की निर्यात कीमत USD 3.5 बिलियन रही, जो कि देश के कुल टेक्सटाइल निर्यात में करीब 9.6% की भागीदारी है।
चुनौतियाँ और आगे की राह
-
भूमि चयन: प्रस्तावित पार्कों के लिए ज़मीन की पहचान और अधिग्रहण जल्द करना होगा। CM ने अधिकारियों को इसकी तेजी से प्रक्रिया सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
-
पूर्व-निर्मित बुनियादी ढाँचा: कच्चे माल की आपूर्ति, पेट्रोल/डीज़ल/घरेलू परिवहन, विद्युत और जल व्यवस्था आदि में व्यवस्थित व्यवस्था की आवश्यकता है।
-
पर्यावरणीय दृष्टिकोण: effluent treatment और sustainable ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल सुनिश्चित करना होगा ताकि उद्योग का प्रदूषण कम हो।
-
कौशल विकास: परंपरागत बुनकरों व हथकरघा उद्योगों को तकनीकी प्रशिक्षण की ज़रूरत होगी ताकि गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा बढ़ सके।
“संत कबीर टेक्सटाइल एवं अपैरल पार्क” योजना उत्तर प्रदेश के लिए सिर्फ आर्थिक निवेश नहीं है, बल्कि यह परंपरा, कौशल, and रोजगार का एक नई दिशा में बदलाव है। 15,431 करोड़ रुपये की प्रस्तावित निवेश राशि और 1,01,768 नौकरियों की संभावना, राज्य को टेक्सटाइल-निर्माण की दुनिया में एक नई केंद्र बिंदु बनाने का संकेत देती है। यदि भूमि, आधारभूत सुविधाएँ और नियम-व्यवस्था समय पर पूरी तरह निर्मित हो जाएँ, तो यह योजना हाथ-कला से लेकर आधुनिक फैशन बाजार तक यूपी को जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी पहल साबित हो सकती है।

Author: saryusandhyanews
SENIOR JOURNALIST ,NEWS PUBLISHED IS FOR TEST AND QUALITY PURPOSE TILL OFFICIAL LAUNCH