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सबरीमाला बना कालकोठरी: त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड अध्यक्ष का बयान

केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर, जो लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है, आजकल विवादों के घेरे में है। त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष पी.एस. प्रसांत ने हाल ही में एक चौंकाने वाले बयान में कहा है कि सबरीमाला मंदिर अब एक ‘कालकोठरी’ (नाइटमेयर) में बदल गया है। यह बयान मंदिर प्रबंधन, भक्तों की सुरक्षा और परंपराओं के पालन को लेकर उठे विवादों के बीच आया है। प्रसांत का यह कथन सबरीमाला की वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करता है, जो 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही तनाव का विषय बना हुआ है।

पृष्ठभूमि

सबरीमाला मंदिर का प्रबंधन त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के अधीन है, जो दक्षिण भारत के लगभग 1,252 मंदिरों का संचालन करता है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था, जिसके बाद भारी विरोध प्रदर्शन हुए। टीडीबी ने 2016 में दाखिल हलफनामे में मंदिर की परंपराओं का समर्थन किया था, लेकिन उसके बाद कोई नया हलफनामा दाखिल नहीं किया गया।

हाल के वर्षों में, विशेष रूप से पिछले चार-पांच वर्षों से, टीडीबी ने मंदिर की सभी रस्में और परंपराओं का सख्ती से पालन किया है। फिर भी, भक्तों की भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा और राजस्व जैसे मुद्दों पर विवाद जारी हैं। पी.एस. प्रसांत ने नवंबर 2023 में बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था और उनकी प्राथमिकता सबरीमाला के वार्षिक मंडलम-मकरविलक्कु तीर्थयात्रा को सुचारू रूप से आयोजित करना रही है।

अध्यक्ष का बयान: सबरीमाला ‘कालकोठरी’ क्यों?

अक्टूबर 2024 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में टीडीबी अध्यक्ष पी.एस. प्रसांत ने कहा कि सबरीमाला अब भक्तों के लिए एक कालकोठरी बन गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बोर्ड का उद्देश्य राजस्व कमाना नहीं, बल्कि मंदिर और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन पुलिस और राज्य सरकार की उदासीनता के कारण स्थिति जटिल हो गई है।

प्रसांत ने कहा, “सबरीमाला की सुरक्षा और भक्तों के हित में भीड़ नियंत्रण जरूरी है। लेकिन वर्तमान व्यवस्था ने इसे एक बुरे सपने में बदल दिया है।” यह बयान हिंदू संगठनों की आलोचना के संदर्भ में आया, जिन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और टीडीबी सबरीमाला मुद्दे पर उदासीन हैं। संगठनों ने विरोध प्रदर्शन और बैठकें आयोजित करने का फैसला किया है।

विवाद और प्रतिक्रियाएं

यह बयान जारी होते ही राजनीतिक हलचल मच गई। विपक्षी दल और हिंदू संगठनों ने सरकार पर मंदिर प्रबंधन में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। केरल सरकार ने स्पष्ट किया कि देवास्वोम मंत्रालय को टीडीबी के किसी भी रुख परिवर्तन की जानकारी नहीं है। पूर्व में भी, 2021 में मीडिया रिपोर्ट्स में टीडीबी के रुख बदलने की खबरें आईं, लेकिन बोर्ड ने इन्हें खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महिलाओं के प्रवेश पर बहस अभी भी जारी है। टीडीबी ने परंपराओं का पालन करने का आश्वासन दिया है, लेकिन भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचने से बचना चुनौतीपूर्ण है।

पी.एस. प्रसांत का ‘सबरीमाला कालकोठरी’ वाला बयान मंदिर प्रबंधन की वर्तमान चुनौतियों को उजागर करता है। यह न केवल प्रशासनिक मुद्दों को रेखांकित करता है, बल्कि धार्मिक परंपराओं और आधुनिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन की जरूरत पर भी जोर देता है। आने वाले तीर्थयात्रा सीजन में सुधार की उम्मीद है, ताकि सबरीमाला भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बने रहे, न कि कालकोठरी।

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Author: saryusandhyanews

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