कोलकाता: पश्चिम बंगाल में अगर पूछा जाए कि सबसे मुश्किल काम क्या है तो शायद सभी का एकमत में जवाब होगा कि राज्य में पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न कराना। चुनावों से पहले ही यहां जबरदस्त हिंसा होने लगती है। कार्यकर्ता अपनी विरोधी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के खून के प्यासे हो जाते हैं। ऐसा लगता ही नहीं है कि राज्य में कानून का शासन है या फिर पुलिस का डर। हर तरफ खूनी झड़पें हो रही होती हैं। पुलिस और प्रशासन सिवाय बेबसी के और कुछ करता हुआ नहीं दिखता है। इस बार भी ऐसा हुआ। या यूं कहें कि इस बार जो कुछ हुआ शायद पहले कभी ऐसे हुआ हो।
पर्यवेक्षकों और रिटर्निंग अधिकारियों से रिपोर्ट मिलने के बाद होगा फैसला
प्रदेश के कई जिलों से हिंसक झडपों की बात सामने आई। कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं की मौत हुई। एक जगह तो कुछ लोग मतपेटी ही लेकर भाग गए। अब इसके बाद पश्चिम बंगाल के राज्य निर्वाचन आयुक्त राजीव सिन्हा ने शनिवार को पर्यवेक्षकों और रिटर्निंग अधिकारियों से रिपोर्ट मिलने के बाद वोटिंग में छेड़छाड़ की शिकायतों पर गौर करने और संभावित पुनर्मतदान पर निर्णय लेने की बात कही है। सिन्हा ने कहा कि दिन में हुए मतदान के दौरान हिंसा की घटनाओं की सबसे अधिक शिकायतें चार जिलों से आईं और चुनाव प्रक्रिया की समीक्षा करते समय उन सभी को ध्यान में रखा जाएगा।
उन बूथ पर दोबारा मतदान होगा जहां सबसे ज्यादा हिंसा हुई
मीडिया से बात करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “मुझे कल रात से हिंसा और झड़पों की जानकारी मिल रही है। इन घटनाओं के बारे में सीधे मुझे और नियंत्रण कक्ष के फोन नंबरों पर कॉल की गईं। शनिवार को ऐसी सबसे अधिक घटनाएं उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और मुर्शिदाबाद जिले जैसे तीन-चार जिलों से सामने आईं।” उन्होंने कहा, एसईसी को बारासात से 1,300 शिकायतें मिलीं, जिनमें उपद्रवियों के मतपेटियां लेकर भागने की घटनाएं भी शामिल थीं। उन्होंने कहा, “कल विस्तृत जांच की जाएगी। उन बूथ पर दोबारा मतदान होगा जहां सबसे ज्यादा हिंसा हुई और जहां मतदान नहीं हो सका या रोक दिया गया।”
इनपुट – भाषा
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Author: Ajay Kumar Pandey
SENIOR JOURNALIST ,VAST EXPERIENCE OF INVESTIGATIVE JOURNALISM