Dilip Kumar Death Anniversary: दिलीप कुमार को इंडियन सिनेमा का ट्रेजेडी किंग कहा जाता है। दो साल पहले आज ही के दिन यानी 7 जुलाई 2021 को दिलीप कुमार ने मुंबई में 98 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली थी। दिलीप कुमार के बारे में बात करने बैठा जाए तो किसी भी सिनेमा लवर के कई दिन बीत जाएं और समय का पता ही न लगे। उनकी एक्टिंग, उनका काम करने का तरीका, उनका स्वभाव या उनकी निजी जिंदगी सब कुछ ऐसा था, जो सुर्खियां बटोरने वाला रहा। एक दौर आया था जब दिलीप कुमार ने कांग्रेस का प्रचार किया, समर्थन किया जिसके बाद वह आलोचनाओं का शिकार हुए। लेकिन इसके बाद एक समय वह भी आया जब दिलीप कुमार देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भिंड गए थे। आइए जानते हैं कि क्या था यह विवाद…
इंदिरा गांधी ने उड़ाया था इंडियन सिनेमा का मजाक
बात उस समय की है जब दिलीप कुमार बॉलीवुड के सबसे व्यस्त हीरो थे। उस समय जवाहर लाल नहरू भी उनके साथ बैठकर समय बिताना चाहते थे। जो किस्सा हम आपको बताने जा रहे हैं यह किस्सा किसी और ने नहीं बल्कि खुद दिलीप कुमार ने सुनाया था। दिलीप कुमार ने वाकया सुनाते हुए कहा था, ‘एक बार मैं जवाहरलाल नेहरु के साथ नाश्ता कर रहा था, तो इंदिरा जी ने बीच में कहा कि कैसे ये पिक्चर बनाते हैं आप लोग। मैंने लंदन, पेरिस में प्ले सुने हैं, फिल्में देखी हैं, कितने खूबसूरत और उम्दा हैं, ये आपकी हिंदुस्तानी फिल्मों में क्या होता है।’
दिलीप कुमार ने दिया था इंदिरा गांधी को ये जवाब
इसके आगे दिलीप कुमार ने कहा, ‘मैं उस वक्त काफी सामाजिक सेवा के काम भी करता था। लेकिन कुछ लोग समझते थे कि हम सिनेमा जगत के लोग केवल नाटक, तमाशा यही सब करते हैं। लेकिन जवाहरलाल नेहरु सच जानते थे तभी वो हम सबको सम्मान देते थे। लेकिन एक सदन की हैसियत से मैंने देखा कि उनकी बेटी अपनी हद से आगे बढ़ रही थीं। कहती हैं तुम्हारी फिल्मों में हिंदोस्तानियत ही नहीं है। ये किस किस्म की इंडस्ट्री हैं। मैंने लगभम 15 मिनट उनकी बातें सुनी। इसके बाद मैंने उन्हें जवाब दिया और कहा कि आपने बहुत कुछ कहा जो सही था। लेकिन मैं आपसे कहूं कि हमारी फिल्मों में हिंदोस्तानियत कहां है तो आप ये जो बातें कब से कह रही हैं उसमें एक लफ्ज भी हिंदोस्तानी नहीं था।’ (आपको बता दें कि इस वक्त इंदिरा गांधी अंग्रेजी में बात कर रही थीं।)
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इंदिरा को बताई थी हकीकत
इसके बाद भी दिलीप कुमार चुप नहीं हुए उन्होंने इंदिरा गांधी को हकीकत बताई। उन्होंने इंटरव्यू में आगे कहा, ‘मैंने कहा कि हमारी फिल्में खराब नहीं हैं। हमारे देश की सड़कें खराब हैं, हमारा एजुकेशन सिस्टम खराब है। हमारी कृषि खराब है। मैं समझा कि शायद ये सुनकर पंडित जी शायद नाराज हों। लेकिन उन्होंने कहा कि अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो इतनी शांति से बात नहीं करता।’
Author: Ajay Kumar Pandey
SENIOR JOURNALIST ,VAST EXPERIENCE OF INVESTIGATIVE JOURNALISM