गुरुवायूर, 18 सितंबर 2025: केरल के प्रसिद्ध श्रीकृष्ण मंदिर, गुरुवायूर में सुदर्शन नंबूथिरी को अगले मेलशांति (मुख्य पुजारी) के रूप में चुना गया है। 59 वर्षीय सुदर्शन नंबूथिरी, जो पलक्कड़ के श्रीकृष्णपुरम में मूर्थियेदथ माना के निवासी हैं, 30 सितंबर 2025 की रात को कार्यभार ग्रहण करेंगे और छह महीने तक सेवा देंगे।
चयन प्रक्रिया
सुदर्शन नंबूथिरी का चयन बुधवार, 17 सितंबर 2025 को मंदिर के मध्याह्न पूजा के बाद आयोजित एक पारंपरिक लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से हुआ। यह लॉटरी मंदिर के गर्भगृह के सामने, मंदिर के तंत्री (प्रमुख पुरोहित) पी.सी. दिनेशन नंबूथिरिपद की उपस्थिति में हुई। वर्तमान मुख्य पुजारी, कवप्र मराठ अच्युतन नंबूथिरी ने एक चांदी के बर्तन से विजेता पर्ची निकाली। कुल 63 आवेदकों में से 51 को साक्षात्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था, जिसमें 8 ने साक्षात्कार में भाग नहीं लिया और 4 को अयोग्य घोषित किया गया।
सुदर्शन नंबूथिरी का परिचय
पलक्कड़ के श्रीकृष्णपुरम के वलम्पिलिमंगलम मूर्थियेदथ माना से ताल्लुक रखने वाले सुदर्शन नंबूथिरी एक प्रसिद्ध मलयालम शिक्षक और कर्नाटक संगीतज्ञ हैं। उनके पास एम.ए. और बी.एड. की डिग्री है, और वह पिछले 34 वर्षों से श्रीकृष्णपुरम हायर सेकेंडरी स्कूल में मलयालम पढ़ा रहे हैं। उनकी कविता और संगीत के प्रति गहरी समझ उन्हें एक अनूठा व्यक्तित्व प्रदान करती है।
उन्होंने अपने पिता, मूर्थियेदथ शंकरनारायणन नंबूथिरी से बचपन में ही पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी। उनकी यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि उन्हें गुरुवायूर मंदिर के मेलशांति के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त बनाती है। सुदर्शन नंबूथिरी ने मेलशांति के रूप में चयन होने पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, “यह अनुभव वर्णन से परे है, और मेरे लिए यह एक ईश्वरीय आशीर्वाद है।”
मेलशांति की जिम्मेदारियां
मुख्य पुजारी के रूप में, सुदर्शन नंबूथिरी मंदिर के दैनिक अनुष्ठानों और पूजा का संचालन करेंगे। कार्यभार संभालने से पहले, वह मंदिर के भीतर 12 दिनों तक भजनम (उपवास और प्रार्थना) का पालन करेंगे। अपने छह महीने के कार्यकाल के दौरान, वह मंदिर परिसर में ही रहेंगे और बिना बाहर निकले सभी धार्मिक कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।
सांस्कृतिक योगदान
सुदर्शन नंबूथिरी न केवल एक शिक्षक और पुजारी हैं, बल्कि एक कवि और सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय व्यक्तित्व भी हैं। उनकी कविताएं और संगीतमय प्रस्तुतियां स्थानीय समुदाय में काफी लोकप्रिय हैं। श्रीकृष्णपुरम के निवासियों और उनके सैकड़ों शिष्यों ने उनके इस चयन पर खुशी जताई है। उनके अनुसार, सुदर्शन नंबूथिरी का काव्यात्मक और आध्यात्मिक व्यक्तित्व गुरुवायूर मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की सेवा के लिए एकदम उपयुक्त है।
चयन समारोह में उपस्थिति
लॉटरी प्रक्रिया के दौरान मंदिर के देवस्वम बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. वी.के. विजयन, बोर्ड के सदस्य ब्रह्मश्री मलिस्सेरी परमेश्वरन नंबूथिरिपद, सी. मनोज, के.एस. बालगोपाल और प्रशासक ओ.बी. अरुण कुमार उपस्थित थे। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और परंपरागत तरीके से संपन्न हुई।
गुरुवायूर मंदिर का महत्व
गुरुवायूर श्रीकृष्ण मंदिर, जिसे दक्षिण भारत का “वैकुंठ” कहा जाता है, देश-विदेश से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। मेलशांति का पद इस मंदिर में अत्यंत सम्मानजनक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। सुदर्शन नंबूथिरी का चयन इस मंदिर की गौरवशाली परंपरा को और मजबूत करेगा।
सुदर्शन नंबूथिरी का गुरुवायूर मंदिर के मेलशांति के रूप में चयन न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन की एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह पलक्कड़ और श्रीकृष्णपुरम समुदाय के लिए भी गर्व का क्षण है। उनकी आध्यात्मिकता, संगीत और कविता के प्रति प्रेम, और मंदिर की परंपराओं के प्रति समर्पण उन्हें इस पवित्र दायित्व के लिए आदर्श बनाता है। भक्तों को उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत और समृद्ध होगी।

Author: saryusandhyanews
SENIOR JOURNALIST ,NEWS PUBLISHED IS FOR TEST AND QUALITY PURPOSE TILL OFFICIAL LAUNCH